आत्मदीपो भव: ( कहानी ) -------------------- ' इतनी सुबह फोन की घंटी..? भला किसकी हो सकती है ? नंबर भी कुछ अजीब सा दिख रहा है। फिर भी सोचा उठा कर देखती हूँ क्या पता किसी रिश्तेदार का हो ? फोन उठाकर जैसे ही कान से लगाकर "हैलो" कहा कि ..उधर से किसी की रौबदार आवाज आई , "मै आपके इलाके के थाने से बोल रहा हूँ । आपके घर में काम करने वाली बाई हमारी हिरासत में है इसलिए आप लोगों को बयान देने के लिए अभी यहाँ आना पड़ेगा ।" इतना कहकर दूसरी तरफ से फोन काट दिया