वह सुबह कुछ और थी

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कहानी वह सुबह कुछ और थी हंसा दीप “नमस्ते जी, आज तो जल्दी निकल पड़े हो।” खन्ना साहब की आवाज सुनकर चौंका नील। आज से पहले कभी काम पर जाते हुए उनसे मुलाकात नहीं हुई थी। शाम को टहलते समय ही मिलते थे कभी-कभी। आज से पहले इतनी जल्दी तैयार होकर बाहर निकला भी नहीं था वह। “हाँ जी, खन्ना साहब, मौसम खराब है तो थोड़ा मार्जिन रखकर जाना बेहतर है आज, वरना लेट होने के पूरे चांस हैं।” रात से ही तय करके सोया था कि ऐसे मौसम में घर से निकलने का समय एक घंटा पहले