दूसरा फैसला

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दूसरा फैसला मीरा ने नंबर देखा, माँ का फोन था, एक बार होठों पर मुस्कराहट तैर गयी, ये नंबर उसके लिए कितना कितना खास रहा है, उसके जीवन का संबल रहा है. तभी एक झटका सा महसूस हुआ, कुछ तल्ख़ यादें कानों में शोर मचाने लगीं. गाँव का वो सूखा, पिताजी का साया सर से उठ जाना और फिर माँ का सभी दो भाई व् एक बहन को लेकर काम की तलाश में दिल्ली शहर आ जाना. दिल्ली शहर, जो सबको अपना लेता है. जहाँ बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं भी है तो छोटी-छोटी झुग्गी बस्तियां भी. हाथ-पाँव बस जरा सा चलते रहे तो