मानसिक रोग - 4

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बचपन से पढ़ाई-लिखाई में तेज श्लोका आज अपना आत्मविश्वास खो चुकी थी। उसने ठान तो लिया कि फिर से सब ठीक करेगी परन्तु प्रश्न था कैसे? उसने धीरे-धीरे खुद को सकारात्मक बनाने की कोशिश की। पहले जिसे हर चीज में ग़लत ही नज़र आता था, अब वह उनमें अच्छा खोजने लगी। ऐसा करने से श्लोका को थोड़ी हिम्मत तो मिल रही थी परंतु मन के ज़ख्म अब भी न भर रहे थे। ऐसे में उसने प्रतीत किया कि ज़िन्दगी के इस उतार चढ़ाव के कारण वह बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित हो गई।