मुझसे कह कर तो जाते

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कहानी मुझसे कह कर तो जाते हंसा दीप जीवन में ऐसे क्षण कभी-कभी ही आते हैं जब ऐसी तृप्ति महसूस होती है, बड़ी तृप्ति। छोटी-छोटी तृप्तियों की तो गिनती करना भी संभव नहीं हो पाता जो रोज़ ही महसूस होती हैं। जैसे बढ़िया चाय पीने के बाद के हाव-भाव हों, या फिर गुलाबजामुन के मुँह में जाने के बाद शरीर के हर अंग की मुस्कान हो, या फिर दाल-चावल और पापड़ खाकर डकार लेने के बाद की लबालब नींद से भरी अंगड़ाई हो। बड़ी तृप्ति तो यदा-कदा ही महसूस की जा सकती है ठीक उसी तरह