विदा रात - 2

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शेखर की नामर्दी का पता चलने पर उसे अपना सपना बिखरता नज़र आने लगा।हर कुंवारी लड़की की तरह उसने भी सपना देखा था।राजकुमार सा पति,अपना घर और बच्चे यानी छोटा सा सुखी परिवार।उसका घर संसार।बरखा ने शादी से पहले जिस तरह के पति की कल्पना की थी।पति उसे वैसा ही मिला था।अमीर सम्पन्न पति को पाकर उसकी खुशी का ठिकाना नही रहा था।लेकिन उसकी खुशी स्थायी नही रह सकी।पति की शारीरिक अक्षमता का पता चलने पर उसे अपने सुखी सपना बिखरता नज़र आने लगा। सेक्स मात्र मनोरंजन का साधन ही नही है।शारीरिक ज़रूरत भी है,जो संतान के सृजन में भी