ध्वनि

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तरंग हॉस्पिटल के वेटिंग एरिया की एक चेयर पर बैठी हुई थी| उसका हाथ अपने उभरे हुए पेट को प्यार से सहला रहा था, और उसका दूसरा हाथ अपने पति अनंत की उँगलियों में उलझा हुआ था| वो दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और शायद आँखों से ही बातें कर रहे थे| उन्हें बात करने के लिए शब्दों की ज़रूरत नहीं थी| आँखें, स्पर्श और उँगलियाँ हीं काफी थी दोनों को बातें करने के लिए, वो दोनों एक दूसरे से बेहद प्यार करते थे और साथ ही मूक-बधिर थे| इसलिए शब्द उनके बीच में कभी नहीं आते थे,