कुछ ख्याल सुनोगे?

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सब से पहले एक छोटिशी रचना पेश करता हूं।लडकिचाय के बागानों से निकलती खुशबू लगती हो;लडकी साडी पहना करो अच्छी लगती हो।आइने की नज़र ना लगे तुमको;क्या ईस लीये काली बिंदी करती हो।मेरे कान खनक सुनने को तरसते हैं;ओर तुम बस एक ही हाथ मे कंगन पहनती हो।कहा से आता हैं इतना गहेरा रंग;काजल किस चीज़ से करती हो?कभी जा कर सरहद पर मुस्कुरा देना;तुम जंग होने से रोक सकती हो।मैं दिनभर बस एक ही बात सोचा करता हूँ;कि तुम मेरे बारे मे क्या सोचती हो?तुमने किरनों को उधार दे रखा हैतुम रोशनी को रोशन करती हो।आशा है आपको पहले