केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 2 बरगद की छाँव तले जिस दिन वह आने वाला था, सब दौड़ रहे थे इधर से उधर, घर वाले भी, घर के नौकर भी। योजनाबद्ध था सब कुछ, पहले पानी, फिर चाय-नाश्ता, उसके बाद पाँच पकवान भोजन में। उसके आने की तैयारी में घर की सफाई हो रही थी। “घर के चप्पे-चप्पे को साबुन के पानी से धो दो।” “चकाचक कर दो।” घर में काम करने वाले तो खूब सफाई कर ही रहे थे, बाहर से भी लोगों को मदद के लिये बुलवाया गया था। आने वाले का नाम बाली था, बालेंदु प्रसाद। पास