धरती तुम बदल गईं

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धरती तुम बदल गईं शाम का धुंधलका और गहरा हो चला था । स्ट्रीट लाइटें ऑन हो चुकी थीं । रविवार की शाम थी, दूरदर्शन पर शाम की फिल्म चल रही थी । सारे कालोनी के लोग कड़कड़ाती ठण्ड में शाम पांच बजे से ही रजाईयां ले टी 0 वी 0 के सामने डट चुके थे । बाहर निकलने का सवाल ही नहीं उठता था रोहित का भी मन नहीं था, फिर भी वह बाज़ार आया था कुछ खुदरा चीज़ें खरीदने । रोहित ने देखा, सड़कें सन्नाटे में डूबी हुई थीं । रोहित खरीददारी कर लौटने को हुआ, तभी कॉफ़ी