गंगादेई

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गंगादेई --------- उम्र का एक पड़ाव पार कर लेने पर मनुष्य न जाने क्यों अपनी पिछली ज़िंदगी में झाँकता ज़रूर है,वह स्थिर रह ही नहीं पाता | वैसे ज़िंदगी का अटूट सत्य यह है कि मनुष्य जाने के लिए ही इस दुनिया में आता है | यह बहुत अजीब सी बात है जो सबके मन में उमड़ती-घुमड़ती है फिर भी हम सभी साँस लेते हैं,हमें ज़िंदा रहना है जब तक जीवन है | लीजिए ,अब साठ साल की उम्र में उसे गंगादेई की याद 'क्या ---पापा भी किसी न किसीको घर में उठा लाते हैं !'माही के बाल-मन