होने से न होने तक 33. डा.ए.के.जोशी दम्पति के आते ही सब लोग बाहर के कमरे में आ गए थे। मीनाक्षी रो रही है। कुछ क्षण तक सब लोग चुपचाप बैठे रहे थे। एक असहज सा सन्नाटा कमरे में फैल गया था। सबसे पहले डा.जोशी बोले थे। अपने से केवल एक साल छोटे भाई को उन्होंने जैसे एकदम से दुत्कारना शुरू कर दिया था। फिर चाचा बोले थे। फिर प्रदीप। वह बातचीत भर नहीं थी। लगा था कमरे में गोला बारूद फटने लगे थे। कई कई ज्वालामुखी एक साथ लावा उगलने लगे थे। उदय जी चुपचाप सिर झुकाए बैठे रहे