नष्टचित्त

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नष्टचित्त इधर कुछ समय से वह उतनी चौकस नहीं रही थीं। चीज़ों के प्रति, लोगों के प्रति उनकी जिज्ञासाएँ ख़त्म हो रही थीं। सवाल पूछे जाने पर जो भी वह उत्तर में कहतीं, वह ज़्यादातर अस्पष्ट और संक्षिप्त रहता। पहले की तरह बातों का झाड़ नहीं बाँधती। पति देहली अथवा मुंबई जाकर आपरेशन करवाने के बारे में बात चलाते, नई उपचार विधियों एवं विधाओं का नाम लेते, नया मकान खरीदने का प्रस्ताव रखते तब भी वह किसी बात पर उत्साह नहीं दिखातीं। पति अपनी व्यावसायिक उलझनों का उल्लेख करते, घनिष्ठ मित्रों अथवा संबंधियों की समस्याएं बताते, राजनैतिक एवं सामाजिक गुत्थियों