सुहागिन या विधवा - 3

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राधा का हरा भरा संसार फलने फूलने से पहले ही उजड़ गया।राघव की मौत का समाचार मिलते ही राधा के हाथ की चूड़ियां तोड़ डाली गई।मांग का सिन्दूर मिटा दिया गया।माथे की बिंदी पोंछ दी गई।राधा पति के साथ कुछ ही दिन रही थी।पति के संग गुज़ारे दिनों की याद करके वह रात दिन रोती रहती।लोग सांत्वना देने आते और चले जाते। समय गतिशील है।वह कभी नही रुकता।अपनी गति से चलता रहता है।समय गुज़रने के साथ पति की यादे भी धुंधली पड़ने लगी।राधा अभी जवान थी।शादी के बाद पति के साथ कुछ ही दिन तो उसने गुज़ारे थे।राधा के सामने