काश ! में समज पाता - 2

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बस ये बात जैसे प्रणव कि माताजी को कांटे कि तरह चुभ सी गई । दिन-रात एक ही चिंता उसे सता रही थी , अगर बेटी आई तो इस घर का वंश आगे कैसे बढ़ेगा ? उन्होंने प्रणव के पिताजी , प्रणव और प्रेरणा से यह बात की , सबने कहा ," बेटा-बेटी एक सम्मान है ।" प्रणव के माताजी की रातो की नींद उड़ गई थी । चिंता की वजह से उनकी तबियत ख़राब रहने लगी , सबने बहोत समझाया , किन्तु वहेम की कोई दवाई नहीं होती । एक दिन अचानक से दिल में भारी दर्द उठा ,