जौंइ

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जौंइ ==== बड़ी उम्र होते -होते बचपने की तरफ़ दौड़ता है मन ! मुझे भी उम्र के बढ़ने के साथ बीते ज़माने न जाने कैसे याद आने लगे हैं ,अपने बालपन के खिलंदड़े दिन ! हाँ ,शिवकुमार मामाजी ,माँ के ममेरे भाई ---और अपने तो कोई भाई -बहन थे ही नहीं माँ के ! तो जो थे ,वही ऊपर वाले की कृपा ! सो ,मामा के बच्चों से ही जो थोड़ा-बहुत संबंध था ,बस वही --- नहीं, सबसे शिवकुमार मामा जी जैसा थोड़े ही था माँ का नेह-स्नेह !शिवकुमार मामा से कुछ ज़्यादा ही करीब थीं माँ !