अलार्म लगातार बज रहा था। अलार्म की आवाज से मेरी नींद टूटी। आंखे खोलने पर भी कुछ देर तक मुझे कुछ समझ नहीं आया कि मैं कहा हूं। छत का फैन पूरे स्पीड से घूम रहा था।खिड़की के बाहर से पुराने कूलर की खट,,,खट,,की आवाज भी आ रही थी। रोशनदान से छनकर सूरज की रोशनी कमरे की दीवार के कुछ हिस्से को पीला किये हुए थी। नीचे पानी की मोटर की आवाज के साथ-साथ मकान मालकिन की कर्कश आवाज मेरे कानों में पड़ी। अब तक जो मस्तिष्क शून्य हुआ था वह समझ चुका था कि मैं अपने किराये के रूम