यह उस समय की बात है जब मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता था।हमारी गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थी।इस मई और जून के महीने का इंतजार हम किसी विरहणी की तरह एक एक दिन काटकर करते थे।छुट्टियों का मेरे लिये वही महत्व था जैसे किसान के लिये मानसूनी वर्षा, रोगी के लिये उसकी दवा और विरहणी के लिये उसका प्रेमी का। मुझे लगता है महाकवि कालिदास के अमर कृति मेघदूत की नायिका बादलो पर अपने प्रेमी को जितना हृदय से संदेशा भेजती थी उससे तनिक भी कम शिद्दत से नहीं मैं ठाकुर प्रसाद कैलेंडर पर दिन ,सप्ताह और महीने के