नेहा देखो मैं तुम्हारे लिए एक नया छाता लाई हूं। तुम इसे अपने बस्ते में रख लो ताकि जरूरत पड़ने पर यह तुम्हारे काम आए- माँ ने कहा।नेहा ने ध्यान से उस छाते को देखा। वह नीले रंग का छाता उसके पहले वाले छाते से भी अधिक सुंदर था।- मैं इस छाते को खराब नहीं करूँगी, नेहा ने सोचा और छाते को अपने बस्ते में रखकर स्कूल की ओर चल पड़ी।सावन का महीना था। कुछ ही देर चलने के बाद बूंदाबांदी शुरु हो गई। नेहा भीगने लगी पर उसने अपना छाता नहीं निकाला। वह बिना छाते के ही अपने रास्ते