आधी दुनिया का पूरा सच - 3

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आधी दुनिया का पूरा सच (उपन्यास) 3. तीसरे दिन शाम को रानी ने अपनी बाल-बुद्धि से सोची गई युक्ति को क्रियारूप देने का दृढ़ निश्चय किया। चूँकि रानी कई दिनों तक वहाँ रहते हुए वहाँ पर होने वाले अधिकांश क्रिया-कलापों से संबंधित अनुमान कर चुकी थी, इसलिए अपनी सफलता के लिए वह पर्याप्त आशान्वित भी थी । अब उसके समक्ष योजनानुसार साहस और सावधानीपूर्वक अपनी युक्तियों को क्रियान्वित करने की चुनौती थी । अपने पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार शाम को भोजन लेकर आने वाले व्यक्ति की आहट सुनकर रानी सावधान होकर दरवाजे के निकट दीवार से चिपककर खड़ी हो