होने से न होने तक - 28

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होने से न होने तक 28. राम सहाय जी दीपा दी की तरफ देख कर हॅसे थे,‘‘नहीं अब यहॉ मेरा काम ख़तम हुआ। चाची ने तो मुझसे कुछ महीनों के लिए काम संभालने की बात की थी। पता ही नही चला,मुझे तो यहॉ तीन साल हो चुके हैं। फाइनैन्स बुक्स एकदम ठीक हो चुकी हैं। आप सब ठीक से समझ गयी हैं। अब मैं यहॉ के लिए एकदम निश्चिंत हूं।’’उन्होने चपरासी को बुलाया था, जेब से रुपये निकाले थे और उससे सबके लिए चाय लाने के लिए कहा था,‘‘इस कालेज की फाउण्डर मेरी चाची हैं। चाची तब कालेज को लेकर