पंचायत वेबसिरिज की समीक्षा

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पतित माध्यम और विषय-वस्तु की साफ़-सुथरी तस्वीर : पंचायत एक दौर था जब ग्रामीण जीवन साहित्य और सिनेमा का केन्द्रीय विषय-वस्तु हुआ करता था | साहित्य के पन्ने और सिनेमा या टेलीविजन के पर्दे पर जब गाँव की कहानी दिखाई जाती तो उसमें वह सबकुछ होता जो मन के अन्तर्तल को छू जाए | आगे चलकर ये माध्यम गाँव और ग्रामीण जीवन से धीरे-धीरे दूर होते चले गये | फिर यह स्थिति आई कि जब कभी-कभार इन माध्यमों पर कहीं गाँव दिख भी जाता तो उसका रूप बड़ा फूहड़ होता | द्विअर्थी गीत, संवाद और दृश्यों ने गाँव की कहानी को