मंगला

  • 5k
  • 1.6k

"मंगला" - अर्चना अनुप्रिया यह कोई कहानी नहीं वरन् आज के समाज की एक सच्चाई है जो आए दिन शहरों में, गाँवों में देखने और सुनने को मिलती है। यह कहानी 21वीं सदी में जन्मी, पली,बढ़ी उस मंगला की है, जो अपने सपनों को टूटता देख कर भी खुद नहीं टूट जाती बल्कि हिम्मत से काम लेती है और अपनी मेहनत तथा लगन के बल पर एक ऐसा मुकाम हासिल करती है, जो उसे मर्दों के समाज में एक उदाहरण के रूप में प्रतिष्ठित करता है।सारा घर रंग बिरंगे बल्ब की रोशनियों से नहाया हुआ था।बाहर शामियाने में करीने से