अक्षित पुलिस स्टेशन से काफी पहले ही सड़क किनारे एक पेड़ के नीचे अपनी गाड़ी खड़ी कर सोमेश के फ़ोन का इन्तजार करने लगता है | अभी चार-पाँच मिन्ट ही हुए थे कि अक्षित के फ़ोन की घंटी बज उठती है | अक्षित फ़ोन उठा कर “हेलो”, बोलता है | दूसरी तरफ से सोमेश बोला “दोस्त मुझे आने में दस मिन्ट और लगेंगे | मैं यहाँ ट्रैफिक में फंसा हुआ हूँ” | अक्षित यह कह कर फ़ोन रख देता है कि कोई बात नहीं भाई | मैं यहाँ आराम से गाड़ी में बैठा हूँ | अब जो समय लगना है