यूँ ही राह चलते चलते - 8

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यूँ ही राह चलते चलते -8- रोम में पहुँच कर शाम का समय खाली था तो सब गाने के मूड में आ गये। निमिषा ने अपने मधुर गीत से सबको विभोर कर दिया, फिर क्या था सब एक-एक करके आगे आने लगे। अर्चिता की मम्मी ने कहा ’’अर्चू तू भी सुना न गाना तू भी तो गा लेती है ।‘‘ अर्चिता को शायद इसी क्षण की प्रतीक्षा थी थेाड़ी सी बनावटी ना नुकुर के बाद वह गाने को तैयार हो गई । उसने गाया ’’तुम जो आये जिंदगी में बात बन गई....................‘‘उसके हावभाव स्पष्ट बता रहे थे कि ये गाना