दशरथ का रावण दहन

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ये बात उन दिनों की है जब मेरे चाचा के बेटे छोटे- छोटे थे ।संयुक्त परिवार में रहने वाले हम सब एक खुशहाल परिवार माने जाते हैं जिसे हमारी दादी ने एक सूत्र में बांध रखा है । हर तीज त्यौहार हम सब मिलकर मनाते हैं। दशहरे के दिन मेरे दोनों छोटे भाइयों ने निर्णय लिया कि इस बार घर में ही रावण बनायेगे और मुहल्ले में सबको आमंत्रित करके रावण का पुतला फूंका जाएगा । दोनों की उम्र उस समय क्रमशः 3 साल और 5 साल थी । दादी से रामायण की कहानियों को सुनकर वो लोग दिन भर मेरे