दो बाल्टी पानी - 16

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ठकुराइन ने मिश्राइन के घर का दरवाजा खटखटाते हुए कहा, "अरे मिश्राइन… खोलो ठकुराइन बोल रहे हैं, नंदू जो अभी जाकर बिस्तर पर सही से लेट भी नहीं पाया था, वह न चाहते हुए भी दरवाजा खोलने उठकर आया, मिश्राजी ऊपर छत पर चारपाई डालकर खर्राटे लगा रहे थे, नंदू दरवाजा खोलते ही बोला," कुंडी लगा देना ताई जी" और नंदू जाकर लेट गया | मिश्राइन लेटी थी, ठकुराइन को देखा तो उठ कर बैठ गई और बोली, "आओ जीजी.. कहो कैसी हो? इत्ती रात को फुर्सत मिली"? ठकुराइन आवाज को दबाते हुए बोलीं, "अरे मिश्राइन हमारी छोड़ो, तुम बताओ कैसी