कोशिश कर रहा था कहानी लिखने की पर लिख न सका तो कविता का रूप दे दिया,पहले पढ़िए फिर आगे बढ़ते हैं।पढ़ने से पहले कहना चाहूंगा कि इस कविता का माध्यम सिर्फ आपके सामने अपने विचार प्रस्तुत करना है,मैं ना ही किसी अपराध का समर्थन करता हूँ और ना ही मेरा मकसद किसी की भावनाओं को किसी भी प्रकार से ठेस पहुँचाना है।अगर कोई शब्द अच्छा न लगे तो पहले ही माफी मांगता हूं,शब्दों का इस्तेमाल सिर्फ उस कविता की ज़रूरत के लिए किया गया है।तो कविता का शीर्षक है-DOMESTIC VIOLENCE या RAPEघर की इज़्ज़त का बखान कर...अपने घर की