रेल में रेगिस्तान रात एक बजे का समय। बंगलौर की ओर प्रस्थान करने वाली कर्नाटक एक्सप्रेस जलगांव के समीप कुछ आगे जा कर ब्रेक हो गई। ड्राईवर ने देखा सामने एक जानवर नुमा मनुष्यों के झुण्ड को चैकड.ी भरते हुए। जेहन में एक धमाका सा हुआ- ‘‘...नक्सलिस्ट...?‘‘ ‘‘..रेल के शेष कर्मचारी लपक के ड्राइवर के केबिन में आ गए। वेटिंग टिकट पर जा रहे यात्रियों को हड़का-हड़का कर दूने दाम पर टिकट बना रहे टीसियों का काला झुण्ड इधर-उधर भागने लगा। ‘‘...अब क्या होगा..?‘‘-खिड़कियों से झांक-झांक टोह लेने का प्रयास करते रहे। पर चारों ओर घुप्प अंधकार के सिवा कुछ