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सावन की ऋतु ने जैसे सारे वृक्षों और पौधों को नहला दिया हो! हरे रंग की आभा लिए पेड़ पौधों की पत्तियाँ चमक उठी थी! जीवानंद बाबू तथा उनके तीन सहयोगी दफ़्तर के दौरे पर दिल्ली से हरिद्वार जा रहे थे! उनकी जीप हाईवे पर फर्राटा भर रही थी! हाईवे के दोनों तरफ फैला जंगल ऐसा प्रतीत हो रहा था मानों वर्षा ऋतु में प्रकृति ने हरियाली की चादर ओढ़ ली हो! रिमझिम वर्षा अभी भी हो रही थी! सड़क के किनारे चाय का टी स्टाल देखकर सहयोगी अनिल बोल पड़े ‘ड्राइवर यहाँ गाडी रोक दो! इतना अच्छा मौसम हैं