बाल कथा हीरा मोती

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बालकहानी हीरा-मोती एक गांव में बरगद के दो घने पेड़ घने थे। एक का नाम हीरा था और दूसरे का मोती था। दोनों में गहरी मित्रता थी। वह एक दूसरे के बगैर रहने की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। बीस बरस पहले नंदू ने उन्हें अपने खेतों के किनारे लगाया था। यही सोच कर कि यह खूब छाँव देंगे। कड़ी धूप में खेत पर काम करते- करते जब मैं थक जाऊंगा तो इसी की छांव में सुस्ता लूंगा। हीरा- मोती को इंसानों की सेवा करते- करते उम्र गुजर गई। हरे-भरे छायादार घने बृक्ष के नीचे ना जाने कितने राहगीर