जन्म दिन

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कहानी- “जन्म दिन” राजेश कुमार भटनागर जब शुरू-शुरू में वह काम पर लगी थी तो खामोश रहा करती थी। मैंने जब उसे पहली बार देखा था तो मन में एक टीस लिए पूछ बैठा था - ‘‘क्या नाम है तुम्हारा ?‘‘ ‘‘खुशी‘‘ उसने पोछा लगाते-लगाते जवाब दिया था । ‘‘पढ़ती हो ?‘‘ ‘‘अगर पढ़ती तो यहाँ कैसे आती ? स्कूल छोड़ दिया है।‘‘ ‘‘क्यों ?‘‘ मेरे इस सवाल पर वो खामोश हो गई थी। फिर बड़े संयत स्वर में बोली थी- ‘‘मेरी माँ मर गई। बाप शराबी