जब कभी भी हम अपने समकालीन कथाकारों के बारे में सोचते हैं तो हमारे ज़हन में बिना किसी दुविधा के एक नाम शोभा रस्तोगी जी का भी आता है जो आज की तारीख में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। लघुकथाओं के क्षेत्र में उन्होंने उल्लेखनीय काम किया है। ऐसे में जब पता चला कि इस बार जनवरी के पुस्तक मेले में उनकी एक नई किताब "बहुत दूर गुलमोहर" आ रही है तो उसे लेना तो बनता ही था। अब फुरसत के इन पलों में जब उनकी किताब को पढ़ने के लिए उठाया तो सुखद आश्चर्य के तहत पाया कि इस