परीक्षायें

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कहानी -परीक्षायें छम..छम..छम..करती बिरजू के रिक्शे की आवाज दूर से सुनाई दे जाती है, जैसे वो कोई रिक्शा न होकर बैलगाड़ी की बैल हो। सजी-संवरी, साफ-सुथरी, नकली फूलों की लड़ियों से महकती और पीछे की तरफ नज़र से बचने के लिये लटकता काले रंग का चुटीला, उसके रिक्शे को अलग ही पहचान दिलाता है। बिरजू अपने रिक्शे को अपने दिल से लगा कर रखता है और प्यार से उसे चन्दू कह कर पुकारता है। रोज घर से निकलने से पहले वह अपने रिक्शे को रगड़-रगड़ कर चमकाता, घण्टियाँ चैक करता और चलते समय अपने खाने का थैला आगे टाँग लेता। दोपहर को