वह पापा का आखिरी ख़त था जिसमें प्रिय रवि , शुभार्शीवाद तुम्हारा पत्र मिला पढ़कर बहुत प्रसनन्ता हुई यह जानकर कि तुमने अपना घर ले लिया और आशा है कि अभी तक तुम लोग नए घर में रह रहे होंगे। आजकल मेरा मन बहुत बेचैन सा रहता है अब तो कुछ करने का मन ही नहीं करता है। तुम लोग