मेरे लफ्ज़ मेरी कहानी - 3

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मैं एक लेखिका हूँ इस नाते ये मेरा दायित्व है कि लोगों की सोच पर पड़ी हुई गर्द को अपने अल्फ़ाज़ से साफ कर दूँ , हो सकता है ये गर्द पूरे तरीके से ना गिरे पर यक़ीनन कुछ तो साफ जरूर नज़र आएगा। मोनिका काकोड़िया "बेबाक शायरा" मैं क्या,बस एक मुफ़लिस सी शायरामेरे पास कुछ नहीं मेरे अल्फाज़ के सिवा️रास नहीं आता मुझे इस जहाँ का महशरअजीज है मुझको तेरे इश्क़ की ख़ामोशी️ये इल्म है मुझको तू महज़ सराब हैतुझे पाने की ख्वाहिश फिर भी नहीं मिटती️सदियाँ लगी थी हमको मरासिम बनाने मेंदो पल लगे नेता को