ईस्ट इंडिया कम्पनी (कहानी - पंकज सुबीर) वे कुल जमा नौ थे, इसमें अगर दो बच्चों को भी जोड़ दिया जाए तो कुल संख्या ग्यारह हो जाती है। हालांकि वैसे तो रेल का सामान्य श्रेणी का पूरा डब्बा यात्रियों से ठसाठस भरा था, लेकिन उसके हिस्से में वे कुल ग्यारह थे, एक तरफ़ बैठे हुए पाँच और दूसरी तरफ चार, एवं साथ में दो बच्चे। इन ग्यारह में उसे अपनी मनपसंद खिड़की के पास की जगह मिल गई थी, एक बार उसे रेल में खिड़की के पास स्थान मिल जाए तो फ़िर उसे डब्बे के अंदर की दुनिया से कोई