होने से न होने तक - 19

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होने से न होने तक 19. घर के सामान में काफी चीज़े ख़तम हो गयी हैं। कुछ मैचिंग रूबिया भी लेने हैं सो शापिंग के लिए हज़रतगंज चली गई थी। काम जल्दी ही निबट गया था। बगल से निकलते रिक्शे को मैंने रोका था,‘‘यूनिवर्सिटी की तरफ राय बिहारी लाल रोड जाना है।’’ बताने पर रिक्शे वाले नें फिर से पैडल पर पैर रख लिए थे,‘‘नहीं जी हम तो सदर की तरफ जा रहे हैं।’’ उसने हाथ से सामने की तरफ इशारा किया था। सदर की बात सुनकर अनायास ही मैंने वहॉ से कौशल्या दी के पास जाने का मन बना