यम याचन

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ये कविता एक आत्मा और यमराज के बीच वार्तालाप पर आधारित है।आत्मा का प्रवेश जब माता के गर्भ में होता है, तभी से यमराज उसका पीछा करने लगते है। वो आत्मा यमराज से यम लोक न जाने का अनेक कारण देती है। इसी तरह मौत बाल्यावस्था से लेकर बुढ़ापे तक आत्मा का पीछा करती है और आत्मा हरदम विनती कर मृत्यु को टालती रहती है। और अंत में इस तथ्येय को स्वीकार लारती है कि वो कभी मृत्यु को प्राप्त होना नहीं चाहती है । कविता जीव के वासना के अतृप्त रहने की प्रकृति को दिखाती है। यम याचन अभी भ्रूण