गुच्चू गरिया गुच्चू मेरे ननिहाल के पास के गाँव गरिया का रहने वाला था। बचपन के उन दिनों में जब मैं ग्रीष्म की लंबी छुट्टियों में या दशहरा दिवाली या मकर संक्रांति के अवकाश में अपने ननिहाल में होता था तब मेरे हमउम्र मामा गुच्चू को बहुत सताते थे। उस समय मुझे समझ में नहीं आता था कि गुच्चू ऐसा क्यों है? वह मामा की ताड़ना बर्दाश्त करता बावजूद इसके हर वक्त उन्हीं की खुशामद में लगा रहता था। हम लोग अच्छे खासे समझदार किशोर हो चुके थे। चौदह या पन्द्रह वर्ष के रहे होंगे। मामा यद्यपि मुझसे उम्र में