निशां चुनते चुनते - विवेक मिश्र

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कई बार कुछ कहानियाँ आपको इस कदर भीतर तक हिला जाती हैं कि आप अपने लाख चाहने के बाद भी उनकी याद को अपने स्मृतिपटल से ओझल नहीं कर पाते हैं। ऐसी कहानियाँ सालों बाद भी आपके ज़हन में आ, आपके मन मस्तिष्क को बार बार उद्वेलित करती हैं। ऐसी ही कुछ कहानियों को फिर से पढ़ने का मौका इस बार मुझे हमारे समय के सशक्त कहानीकार विवेक मिश्र जी की चुनिंदा कहानियों की किताब "निशां चुनते चुनते" को पढ़ने के दौरान मिला। इस संकलन में उनकी चुनी हुई 21 कहानियों को संग्रहित किया गया है। धाराप्रवाह लेखनशैली और आंचलिक शब्दों