अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।। - Dilwali Kudi की कलम से।।

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*अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।*अब चांद से होती गुफ़्तगू की रिहाई से,पा लेते है राहत चंद लम्हो की कटाई से।क्योंकि,अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।अब वो बात कहा है उन आंखों की नरमाई से,अब फिर वो शाम कहा ढलती है रुसवाई से।क्योंकि,अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।अब ये आंखमिचौली हो रही खुद की परछाई से,कहा मिलेगी अब हमे रात आगोश की रजाई से।क्योंकि,अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।सुनने को तरस रहे सुर तेरे आवाज की शहनाई से,हो रहे है रुबरु हम ज़ालिम इश्क़ की तन्हाई से।क्योंकि,अरसा हो