पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 3

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लखन अंकल ने शराब का गिलास उठाते हुए घडी में देखा. रात्रि के बारह बजने को हुए थे. उसने शुरू किया.कहानी शुरू होती है हसमुख के दादा मेघ्नाथ्जी के लिखे पत्रों से. हसमुख के दादाजी जो "खारवा" (दरियाखेदु) प्रजाति से आते थे. और वह गोवा के एक बड़े व्यापारी के नावों के काफिले के मुख्य टन्देल हुआ करते थे. उस व्यापारी का बड़ा व्यवसाई अफ्रीका के देशों में चल रहा था. इसलिए परबत का अफ्रीका और इंडिया में लगातार आनाजाना लगा रहता था. यूँ कहिए, उसने अपना एक घर यहाँ तो दूसरा घर अफ्रीका के मोजाम्बिक में बसा रखा था.