कर्म पथ पर Chapter 29अपनी कहानी सुनाते हुए शिवप्रसाद चुप हो गए। कमरे में सन्नाटा छा गया। जय और रंजन भी भावुक हो गए थे। जय उठ कर शिवप्रसाद के पास आया। उनके कंधे पर हाथ रख कर तसल्ली दी। मालती एक लोटे में पानी और गिलास रख गई थी। रंजन ने शिवप्रसाद को पानी पिलाया। अपनी भावनाओं पर काबू करने के बाद शिवप्रसाद बोले,"मजबूरी इंसान से क्या नहीं करा देती है। जय बाबू मैं कायर नहीं हूँ। पर जानता था कि हैमिल्टन