कहानी किससे ये कहें! नीला प्रसाद (6) ‘मैं तो सिर्फ बातें करने आई थी।' ‘तो बातें ही करो न! पर स्पर्शों से’, अय्यर सहजता से ‘आप’ से ‘तुम’ पर उतर आए थे। ‘सर, मैं कोई बाजारू औरत नहीं हूँ।’ ‘पता है।’ ‘मैं आपको प्यार- व्यार भी नहीं करती। वह सब मेरे बस का नहीं है।’ ‘पता है।’ ‘अगर आप सोच रहे हैं कि आप मेरा शरीर ले ले सकते हैं और उसके बाद चैन से अपनी शादी निभाते जी सकते हैं, तो आप गलत हैं। मैं आपका जीना हराम कर दूँगी।’ ‘पता है।’ ‘तो फिर? क्यों लिया कमरा? क्यों बुलाया