मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 21

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 21 लेखिका: ज्योति द्विवेदी दास्तान-ए-पैनडेमिक ‘कभी किसी गिटारिस्ट को गिटार बजाते वक्त हंसते देखा है?’ ‘नहीं न? उसने ऐसा किया नहीं कि लोग उससे पूछने लगेंगे, भाई तू इतना खुश क्यों है?’ ‘हां, अगर आप तबला बजा रहे हों, तो बात अलग हो जाती है, क्योंकि तब आप अपनी बदहाली पर हंस रहे होते हैं।‘ ‘धा गे न ती । न क धी न’ आठ साल लगे मुझे यह सीखने में! ‘धा गे न ती । न क धी न’ कोई लड़की कभी मुझे घास नहीं डालेगी! ‘धा गे न ती । न क धी न’