मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 20 लेखिका: अमृता ठाकुर आईना मैंने धीरे से रिसीवर रखा। गुस्से से आंखे अभी भी भरी हुई थीं। पता नहीं अब भी जब अपना पक्ष रखने का समय आता है, ज़बान चुप हो जाती और आंखों से बूंदे टपकने लगती । ज़िदगी की आधी लड़ाइयों में तो इन आंखों की वज़ह से ही हथियार डालना पड़ा। कोफ्त होती है अपनी इस कमज़ोरी से। अम्मा सामने खड़ी मेरे चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रही थी। उनके चेहरे पर अजीब से भाव आ जा रहे थे। उन्हें अपनी तरफ देखता हुआ पा कर और गुस्सा आया। ‘आप