हकदारी

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हकदारी “उषा अभी लौटी नहीं है”- मेरे घर पहुँचते ही अम्मा ने मुझे रिपोर्ट दी “मैं सेंटर जाता हूँ ” मैं फिक्र में पड़ गया दोपहर बारह से शाम छह बजे तक का समय उषा एक कढ़ाई सेंटर पर बिताया करती अपने रोजगार के तहत शहर के बाहर बनी हमारी इस एल.आई.जी. कॉलोनी के हमारे सरकारी क्वार्टर से कोई बीस मिनट के पैदल रास्ते के अंदर “देख ही आ ” अम्मा ने हामी भरी, “सात बजने को हैं.....” “उषा के मायके से यहाँ फोन आया था ” कढ़ाई सेंटर की मालकिन ‘मी’ मुझे देखते ही मेरे पास चली आई उस सेंटर की लेबर