आमा के ख़मा करो

  • 7.2k
  • 1
  • 2.1k

आमाके ख़मा करो प्रबीर ने उसदिन बाबा को अकेले में बड़बड़ाते हुए पाया था. कमरे में दरवाजे की तरफ पीठ किये बैठे बाबा को अकेले में खुद से बाते करतें देख प्रबीर का मन भर आया था. उन की इस अकेलेपन का वह क्या करें, यह सोच प्रबीर का मन भर आया. “माँ को गए तो अभी बमुश्किल दो महीने ही हुए होंगे. अब लाजिमी है कि उनकी कमी खलेगी ही”, प्रबीर की भी आँखे भर आई थी. “बाबा! अन्धोकारे की कोरछो?”, प्रबीर ने बाबा के काँधे पर हाथ रखते हुए बांग्ला में पूछा तो