लक्ष्मी प्रसाद की अमर दास्तान - ट्विंकल खन्ना

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कई बार कुछ किताबें हम खरीद तो लेते हैं मगर हर बार पढ़ने की बारी आने पर उनका वरीयता क्रम बाद में खरीदी गयी पुस्तकों के मामले पिछड़ता जाता है। ऐसा हम जानबूझ कर नहीं करते बल्कि अनायास ही हमें उसके मुकाबले बाद में खरीदी गयी किताबें ज़्यादा महत्त्वपूर्ण...ज़्यादा रोचक...ज़्यादा ज़रूरी लगने लगती हैं। मगर ये कतई आवश्यक नहीं होता कि निर्णय लेते वक्त हम हमेशा सही ही हों। ऐसा इस बार भी मेरे साथ हुआ जब मैंने लगभग 8 या 9 महीने पहले खरीदी हुई ट्विंकल खन्ना की लिखी हुई किताब "लक्ष्मी प्रसाद की अमर दास्तान" को हर बार